वायेजर 1
वायेजर 1 एक मात्र ऐसा एकलौता अंतरिक्ष यान है जो मानव द्वारा बनाया गया ऐसा पहला spacecraft है, जो हमारे solar system के बाहर जाने में कामयाब रहा । वॉयेजर 1 को 5 सितम्बर 1977 को NASA (The National Aeronautics and Space Administration) द्वारा अंतरिक्ष में भेजा गया था। वायेजर 1 अपनी 62,140 km/h की रफ़्तार से चलते हुए धरती से करीब 20.6 billion kilometers यानी 20,600,000,000 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए हमारे सोलर सिस्टम से बाहर जा चुका है और अभी (40 साल) तक भी इंसानों से communicate करने में सक्षम है ।

तो आइये जानते हैं विस्तार से अब voyager 1 के बारे में, कि इसमें एलिएंस के लिए क्या सन्देश है, और इसका 40 साल का सफ़र कैसा रहा ?
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वायेजर 1 का सफ़र
Space probe वॉयेजर 1 जिसको 5 सितम्बर 1977 को, अमेरिका की जानी मानी Space Agency NASA द्वारा लांच किया गया था । इसका मूल उद्देश्य Jupiter, Saturn , Saturn के rings और इन दोनों ग्रहों के उपग्रहों का नजदीकी से अध्ययन करना था। इसके लिए यह mission 5 साल तक चलना था । समय के साथ मूल mission complete हो गया अब voyager 2 को scientist neptune और uranus की तरफ रवाना कर चुके थे तो इसलिए उन्होंने वायेजर 1 को सीधा ब्रह्माण्ड से बाहर की तरफ धकेला गया। और आज 40 साल बाद voyager 1 अपनी 62,140 km/h की तूफानी से वायेजर 2 से पहले ही ब्रह्माण्ड से बाहर चला गया और यह इंसानों द्वारा भेजी गयी पहली वस्तु है ।जो ब्रह्माण्ड से बाहर (“Interstellar space”) में है ऐसी वस्तुओ को हम “Interstellar ” कहते हैं ।
Voyegar 1 को एक छोटी Trajectory में छोड़ा गया था जसके कारण यह यान बाद में छोड़े जाने के बाद भी Jupiter और Saturn के पास Voyger 2 से पहले पहुँच गया । वायेजर 1 की Trajectory ऐसी थी जिस से कि वह शनि के उपग्रह Titan के नजदीक से गुजरे तथा शनि के rings के पीछे जाकर elliptical orbit में घूमें जिस से शनि के वलय (Rings) का अध्ययन किया जा सके। इसके बाद उसको शनि की Gravity का स्तेमाल कर solar system से बाहर की और धकेला जा सके । voyager 1 और 2 की Trajectory आप नीचे इमेज में देख सकते हैं ।

वाकई बैज्ञानिको की सोच समझ और उनकी सूझ बूझ का कोई अंत नहीं है जहाँ तक हमारी दृष्टि भी नहीं जा सकती वहां तक उन्होंने यान भेज दिया । और हैरान करने वाली बात तो यह है की 40 सालो के बाद 18.8 billion kilometers की दूरी से भी यह यान धरती के संपर्क में है और ब्रह्माण्ड के नित नए राज खोलता है।
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voyager 2 की तरह ही इसमें एक गोल्डन रिकॉर्ड डिस्क लगी है। जिसमे धरती के कुछ video, Songs, Sound भरे गए जिसको Sound of Earth भी कहते हैं ताकि यदि यह यान अगर कभी किसी परग्रही के हाथ लगे तो वह यह जान सके की यह यान कहा से आया है, और जहाँ से यह आया है वह की सभ्यता रीति रिवाज कैसे हैं । इसको एल्युमीनियम की जैकेट से ढाका गया है जिस से यह आने वाले 1 अरब सालो तक भी सुरक्षित रहेगा। हम यह कह सकते हैं की अगर कल को धरती पर से सारा कुछ समाप्त भी हो जाये तब भी यहाँ की सभ्यता के अंश ब्रह्माण्ड में घूमते रहेंगे । वोयजर्स में लगे Golden Recored से हमने मानवता को अमर कर दिया है इंसानों के वजूद को अमर कर दिया है ।
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बृहस्पति पर वायेजर 1
5 मार्च , 1979 को वायेजर 1 बृहस्पति (Jupiter) ग्रह के सबसे करीब था। वायेजर 1 की मदद से हमने यह जाना कि बृहस्पति (Jupiter) ग्रह इतना बड़ा है की पृथ्वी के आकार के 1300 ग्रह इसके अन्दर समा जायेंगे धूल के दो Rings इसके चक्कर लगा रहे हैं। जिनमे cilicon और carbon की मात्र अधिक है हमने great red spot को भी नजदीक से जाना जो anticyclonic storm से बना है। और Diameter पृथ्वी से तीन गुना बड़ा है वायेजर 1 के द्वारा बृहस्पति (jupiter ग्रह की फोटो )।

इसके अलावा इस यान की सहायता से हमने जाना की बृहस्पति गृह के 16 उपग्रह हैं।
- IO
- Europa
- Ganymede
- CallistoMetis
- Adrastea
- Thebe
- Amalthea
- Themisto
- Leda
- Himalia
- Lysithea
- Elara
- Dia
- Carpo
- Euporie
- Helike
इसके अलावा हमें jupter के और भी उपग्रहों के बारे में पता चला लेकिन वह बहुत छोटे हैं । जिनके बारे में ज्यादा जानकारी हासिल नहीं है। बृहस्पति गृह का उपग्रह IO में 400 से ज्यादा ज्वालामुखी देखे गए जो पृथ्वी और शुक्र के अलावा अभी तक किसी और गृह पर नहीं दिखाई दिए थे।
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voyager 1 की नज़र से शनि (Saturn)
12 नवम्बर, 1980 को voyager 1 शनि ग्रह के सबसे करीब था जिस की मदद से हमको शनि ग्रह के बारे में भी काफी जानकारी प्राप्त हुई। जैसे की यह hydrogen और helium से बना एक ठंडा गृह है। जहाँ आंधियां 11000 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से चलती हैं इसके वलय (rings) के अध्ययन से हमने जाना कि यह astoroid और दुसरे उपग्रहों के टकराव से बने हैं । इसमे पत्थर बर्फ और धुल मौजूद हैं वायेजर 1 ने इसके सबसे बड़े उपग्रह Titan की जानकरी दी जब यह शनि ग्रह के नजदीक पहुंचा तब इसने पृथ्वी को शनि की एक फोटो भेजी जिसको आप नीचे देख सकते हैं ।

Voyager 1 on Titan
12 नवम्बर, 1980 को voyager 1 शनि के सबसे बड़े चाँद टाइटन(Titan) के सबसे करीब यानी 6,490 km की दूरी पर गया और इसका अध्ययन किया । इसके अलावा इस यान ने शनि के अन्य उपग्रहों का अध्ययन भी किया जैसे Mimas, Tethys, Rhea , ।

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वायेजर 1 की currnet position
इस समय voyager 1 अपनी 62,140 km/h की speed से चल रहा है तथा Interstellar space में है । Interstellar space सौरमंडल के बाहर दो तारो के बीच की जगह है जहाँ न तो सूर्य का प्रकाश पहुँचता है, और न ही इसका गुरुत्वाकर्षण का प्रभाव। यानी हम कह सकते हैं कि वायेजर 1 हमारे solar system से पूरी तरह से बाहर जाने वाला पहला space prob है जो इंसानों ने सौरमंडल से बाहर भेजा। हालाँकि इस से पहले पायनियर 10 हमारी धरती से सबसे दूर भेजा गया अंतरिक्ष यान था। लेकिन 1980 में अपनी lighting speed से वायेजर 1 ने Pioneer 10 को पीछे छोड़ दिया। अभी यह किसी विशेष तारे की ओर नहीं जा रहा है लेकिन आज से 40,000 वर्ष बाद यह जिराफ़ तारामंडल (Camelopardis तारामंडल) के ग्लीज़ ४४५ तारे से लगभग 1.6 प्रकाश वर्ष की दूरी से गुज़रेगा।
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और इस तरह से वायेजर 1 अब तक का सबसे तेज रफ़्तार (62,140 km/hr) से चलने वाले यान के साथ साथ धरती से सबसे दूर ब्रह्माण्ड की अनंत गहराइयो में पहुँचने वाला यान बन गया है ।
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