एक जंगल में एक हाथी रहता था जिसका नाम था राजा। राजा को अपने बल पर बहुत ज्यादा घमंड था वह अपनी ताकत के कारण बार बार जंगली जानवरों को धमकाता रहता था । और छोटी छोटी बातो पर गुस्सा हो जाता था । और अपनी ताकत दिखाने के लिए हमेशा कुछ न कुछ तोड़ फोड़ करता रहता था।
एक दिन एक कौवा जिसका नाम कालू था। वह पेड़ पर बैठे काऊं काऊं कर रहा था, और हाथी को उसकी आवाज अच्छी नहीं लग रही थी ।तो हाथी को गुसा आ गया। और कौवे को डांटने लगा कि ये क्या काऊं काऊं लगा रखी है चुप कर तो तभी कौवा कहता है।
कौवा – भाई रजा मैं तो चुप चाप गाना गा रहा हूँ तुम्हे क्यों परेशानी हो रही है तो हाथी कहता है।
हाथी – बुरा लग रहा है तो लग रहा है तुम मेरी ताकत नहीं जानते अभी मैं इस पेड़ को गिराता हूँ ।और हमेशा के लिए तुम्हारी काऊं काऊं बंद कर देता हूँ ।
कौवा बोला – अरे भाई अगर तुम्हे अच्छा नहीं लगता तो कोई बात नहीं मैं यहाँ से चला जाता हूँ और कौवा वहां से उड़ गया।
तभी वह बगल में एक लोमड़ी खड़ी-खड़ी ये सब देख रही थी तो हाथीउस बेचारी लोमड़ी पर भी गुस्स्सा करने लगा और कहने लगा।
हाथी – तू क्या खड़ी खड़ी देख रही है चल भाग यहाँ से दूर और इतना कहकर वह उस लोमड़ी के पीछे पड जाता है । और लोमड़ी भी चुप चाप दम दबाकर वहां से दूर भाग जाती है। तभी घमंडी हाथी को फिर एक छोटी सी चींटी दिखती है और चींटी को देखते ही हाथी का गुस्सा शांत हो जाता है। और वह हंसने लगता है और उसका मज़ाक उड़ाने लगता है ।
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हाथी – हा हा हा हा हा….. अरे चींटी तुम कितनी छोटी हो, तुम्हारा शरीर तो शुरू होते ही ख़त्म हो जाता है। हाहाहा तुम्हारी ऑंखें हैं भी या नहीं, तुम्हे तो हमेशा यही डर लगा रहता होगा । कि कहीं को तुम्हे अपने पैरो तले कुचल न दे हा हा हा हा हा हा मेरा शरीर देखो कितना बड़ा है मैं कितना बलशाली हूँ कितना बलवान हूँ , तो इस पर चींटी कहती है।
चींटी – अरे भाई राजा अपने बल पर ऐसे घमंड नहीं करते । मुझे भी भगवान ने मेरी जरूरतों को पूरा करने के लये वो सब कुछ दिया है जो मुझे चाहिए तो इस पर भी हाथी को गुस्सा आया और चींटी से कहने लगा।
हाथी- बस बस भाषण मत दो और भागो यहाँ से वरना भी कुचल दूंगा।
तबी बिजली कड़कने लगती है और जोर जोर कि बारिश होने लगती है वही नजदीक में ही एक गुफा थी चींटी जान बजाने के लिये उस गुफा में चली जाती है । और राजा भी मस्ती से धीरे धीरे से गुफा कि तरफ आने लगता है तो चींटी हाथी से कहती है।
चींटी – राजा जल्दी जल्दी आओ नहीं तो बुखार हो जायेगा तो इसपर भी हाथी बोला – बुखार तो तुम जैसे छोटे प्राणियों को होता है मुझे जैसे बड़े जानवर को नहीं , क्यों चींटी बड़ी मुश्किल से जान बचाई है । तुम तो बहने वाली थी पानी में भगवान ने पतनी क्या सोचकर तुम्हे बनाया है।
चींटी – कुछ अच्छा ही सोचा होगा मेरे बारे में घमंड मत करो।
हाथी – जाओ चींटी जाओ अभी तुमने मेरी ताकत नहीं देखी है जब तुम मेरी ताकत देखोगी तो पागल हो जाओगी अगर मैं अपनी एक टांग जोर जोर से धरती पर मारने लग जाऊं तो धरती भी हिलने लगती है । और इतना कहते ही वह जोर जोर से पानी टांग को धरती पर मारने लग जाता है । तभी चींटी हाथी को समझाती है कि ऐसा मत करो नहीं तो गुफा हमारे उपर गिर जाएगी घमंडी हाथी चींटी कि बातो को नहीं सुनता और जोर जोर से अपनी टांगो को धरती पर मारते रहता है। गुफा के जोर जोर से हिलने से गुफा का एक बहुत बड़ा पत्थर गुफा के सामने गिर जाता है । और गुफा बंद हो जाती है तो चींटी कहती है।
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चींटी – यह क्या किया राजा तुमने तो गुफा बंद कर दी तो हाथी भी अपना घमंड दिखाते हुए बोला अरे कुछ नहीं ! देखो मैं अभी इस पत्थर को अपने सर से हटा देता हूँ ।हाथी गया और उस पत्थर को हटाने लग गया घमंडी हाथी ने बहुत बल लगाया। लेकिन वह फिर भी उस पत्थर को हटा नहीं पाया । और परेशांन होते हुए चींटी से कहने लगा, अरे ये क्या 😨😨 हम तो यहाँ फंस गए तो चींटी ने भी सही उत्तर दिया।
चींटी – हम नहीं राज तुम फंस गए, भगवान ने मेरा शरीर इतना छोटा बनाय है की मैं तो आसानी से यहाँ से बाहर जा सकती हूँ। लेकिन अफ़सोस तुमको अब अपना सारा जीवन यही इस गुफा में बिताना पड़ेगा।
हाथी – रोते हुए कहता है नहीं बहन ! मैं यहाँ नहीं रहना चाहता। तुम बाहर जा सकती हो इसलिए मेरी मदद कर दो तो चींटी कहती है ठीक है ।राजा तुम रोवो मत मैं कुछ करती हूँ ।और इतना कहकर चींटी राजा के दोस्तों के पास जाती हाँ जहाँ वह सारी बात उनको बताती है और फिर हाथी के दोस्त आते हैं। और मिलकर उस पत्थर को वहां से हटाते हैं । फिर राजा वहाँ से बाहर आया जाता है रो खुश हो जाता है और उस चींटी का शुक्रिया करता है ।
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तो घमंडी हाथी और चींटी की कहानी से आपने जाना कि हाथी राजा ने बिना सोचे समझे अपनी ताकत दिखाई जिसके कारण उसकी जान खतरे में पड़ गयी थी । लेकिन चींटी नें अपनी समझदारी से उसको बचा लिया था इस बात से यह साफ़ साफ़ पता चलता है कि ताकत सिर्फ बड़े और मजबूत शरीर से ही नहीं है। उस से बड़ी एक ताकत है जो है हमारी बुद्धि , क्योंकि इसी बुद्धि के कारण आज इंसान चाँद पर पहुँच गया न कि अपने शारीरिक बल के कारण । इसीलिए कहा जाता है कि
| ताकत से बड़ी बुद्धि है |