हमारा ब्रह्माण्ड इतना बड़ा और रहस्यों से भरपूर है यह बहुत विशाल है इतना विशाल की जिसकी कल्पना करना भी हम इंसानों की सोच से परे है। इस अनंत ब्रह्माण्ड में हमारी पृथ्वी एक कण से भी छोटी नज़र आती है। विराट ब्रह्माण्ड की गहराइयो में कहीं अपार रौशनी है तो कहीं बेहद घोर अँधेरा कहीं करोडो डिग्री सेल्सियस तक गर्मी है, तो कहीं कड़ाके की ठण्ड, कहीं पर हमारे सूर्य से भी करोडो गुना ज्यादा घनात्व वाले तारे हैं, तो कहीं पर बर्फ से भी ठंडो ग्रहों का बसेरा है यहाँ कुछ जगहों पर जीवन का अस्तित्व है तो कहीं पर समय का भी अस्तित्व नहीं है।

जब ब्रह्माण्ड की बात की जाए तो हमें यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि ब्रह्माण्ड दो तरह के हैं एक है दृश्य ब्रह्माण्ड और दूसरा है अदृश्य ब्रह्माण्ड ये क्या हैं जानते हैं इनके बारे में।
- दृश्य ब्रह्माण्ड- दृश्य ब्रह्माण्ड वो है जिसे हम देख सकते हैं और जिसकी उत्पत्ति big bang के प्राथमिक Raw material से हुआ है जैसे की ग्रह, तारे, उल्का, गलेक्सी, निहारिकायें, प्रकाश, गति, समय,गुरुत्वाकर्षण आदि।
- अदृश्य ब्रह्माण्ड– अदृश्य ब्रह्माण्ड दृश्य ब्रह्माण्ड के बाहर के विस्तार व अज्ञात जगहों को कहा जाता है हमारे दृश्य ब्रह्माण्ड की सीमाओ के बार अज्ञात अदृश्य ब्रह्माण्ड में क्या है यह तो किसी को नहीं मालूम लेकिन दृश्य ब्रह्माण्ड पर हमारे बैज्ञानिक काफी हद तक शोध कर चुके हैं। इसलिए हम Big bang से जन्मे दृश्य ब्रम्हांड के बारे में ही बात करेंगे।
जैसे धरती पर दूरी को मापने की इकाई किलोमीटर या मील है ठीक उसी तरह ब्रह्माण्ड में दूरी को मापने की इकाई को प्रकाशवर्ष (light year) कहा जाता है। अब यह तो आपको पता होगा की एक किलोमीटर में 1000 मीटर होते हैं लेकिन एक प्रकशवर्ष कितना बड़ा होता है यह भी आपको बता देते हैं।
- प्रकाशवर्ष (light year)- प्रकाश यानी Light द्वारा एक साल में तय की गयी दूरी को एक प्रकाशवर्ष (light year) कहा जाता है ।यदि हम calculation करे तो light एक second में 299792 kilometer की दूरी तय करती है ।उस हिसाब से Light द्वारा एक साल में तय की गयी दूरी होगी 9,500,000,000,000 kilometer और इतनी बड़ी दूरी को हम कहते हैं 1 light year या हिंदी में एक प्रकाशवर्ष।
तो इस तरह अभी हमारा दृश्य ब्रह्माण्ड 93 अरब प्रकाशवर्ष में फैला हुआ है और उसके पार के अदृश्य ब्रह्माण्ड में क्या है । यह आजतक हम कुछ नहीं जान पाए हैं तो आइये जानते हैं अब की आखिर हमारा ब्रह्माण्ड कैसे बना वैज्ञानिको द्वारा ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति का आधार big bang theory को ही माना जाता है।
बिग बैंग थ्योरी से पहले वैज्ञानिक मत
सन् 1927 में महान खगोल शाश्त्री Georges Lemaître ने Friedmann lemaitre Robertson walker नाम का समीकरण बनाया जो अलबर्ट आइन्स्टीन की Theory of general relativity पर आधारित था। इनके अनुसार ब्रम्हांड की उत्पत्ति एक प्राथमिक परमाणु से हुई और एक महाविस्फोट के साथ ब्रह्माण्ड का विस्तार हुआ और ब्रह्माण्ड के पदार्थ एक दुसरे से दूर जाने लगे तो शुरुवाती दौर में Lemaître की थ्योरी का मजाक उड़ाया गया। Lemaître की इस थ्योरी का सबसे ज्यादा खंडन करने वाले वैज्ञानिक थे Fred Hoyle ।
Hoyle की थ्योरी के अनुसार ब्रह्माण्ड के पिंड एक दुसरे से दूर नहीं जा रहे बल्कि उनके बीच में नए पदार्थ प्रतिपादित हो रहे हैं जिसे Dark matter कहते हैं। उन्होंने Fred Hoyle model theory को प्रकाशित किया और Lemaître की theory को बिग बैंग आईडिया कहकर उनका मज़ाक उड़ाया काफी समय पर दुनिया के वैज्ञानिक इन दो सिधान्तो के बीच विभाजित रहे। लेकिन जैसे जैसे समय बीतत़ा गया वैसे वैसे वैज्ञानिक प्रयोगों से यह साबित हुआ की Lemaître की Big bang theory ही सच है और बाद में Lemaître के विरोधी भी उनके पक्षन होने लगे। सन 1965 में cosmic microwave background की खोज ने Lemaître की Big bang theory को सबसे ज्यादा मान्य सिधांत का दर्जा दिलवाया। आज Lemaître की Big bang theory ब्रम्हाण्ड की उत्पत्ति के लिए सबसे ज्यादा मान्य सिधांत माना जाता है।
बिग बैंग थ्योरी | Big bang theory
बिग बैंग थ्योरी के अनुसार आज से लगभग 13.5 अरब साल पहले ब्रह्माण्ड के सभी अणु परमाणु और दुसरे के पास थे इतने पास की सभी एक ही जगह पर थे मनो सारा दृश्य ब्रह्माण्ड जो हम आज देख रहे हैं वो एक छोटे से बिंदु में स्थित था और उस वक्त वो बिंदु अपार घनत्व वाला और अत्यंत गर्म रहा होगा। ये वो स्थिति है जहाँ पर Physics के कोई भी नियम काम नहीं करते इस अवस्था में अन्तारिक्ष और टाइम का भी कोई अस्तित्व नहीं था ।उस परिस्थिति में किसी अज्ञात कारण से अचानक एक विस्फोट हुआ जिस से ब्रह्माण्ड का जन्म हुआ और ब्रह्माण्ड का विस्तार होना शुरू हो गया । ब्रह्माण्ड के सारे पदार्थ एक दुसरे से दूर जाने लगे इस विस्फोट को बिग बैंग कहा जाता है ।
बिग बैंग के इस विस्फोट के वक़्त ब्रह्माण्ड का तापमान इतना ज्यादा था की उसकी हम गणना ही नहीं कर सकते। महाविस्फोट के बाद के एक micro second को blank time कहा जाता है। इस बहुत ही कम समय के अंतराल में ब्रह्माण्ड का तापमान बड़ी तेजी से गिरा और 1 micro second होते होते तो ब्रह्माण्ड 10,000 अरब तक हो गया। इस अवस्था में ब्रह्माण्ड के सारे पदार्थ Gluon plasma की अवस्था में थे जिसमें सारे कण गति कर रहे थे। जैसे जैसे ब्रह्माण्ड का विस्तार बढता गया उसका तापमान भी कम होता गया ब्रह्माण्ड के तापमान में गिरावट और उसकी plasma अवस्था big bang महाविस्फोट के बाद लगभग 3,80000 सालो तक चलता रहा इस 3,80000 सालो के टाइम को Dark time भी कहा जाता है क्योंकि उस वक़्त ब्रह्माण्ड में कोई रौशनी नहीं थी।
डार्क टाइम
यदि आप सोचते हैं कि Big bang blast के वक़्त ब्रह्माण्ड में बहुत रौशनी उत्पन्न हुई होगी तो आपका सोचना गलत है क्योंकि जब Big bang हुआ उसको हम blast कहते हैं और इस वक़्त तापमान भी अपनी चरम सीमा पर था। लेकिन सब कुछ अंधकार में था रौशनी नहीं थी क्योंक ब्रह्माण्ड plasma अवस्था में था और अभी तक ब्रह्माण्ड में कोई अणु नहीं था इसलिए light भी नहीं थी ऐसा लगभग Big bang blast के बाद 3,80,000 सालो तक चलता रहा। इस dard time में ही ब्रह्माण्ड की plasma अवस्था में proton और neutron बनने लगे और proton और neutron के मिलने से ब्रह्माण्ड को अपना सबसे पहला अणु मिला जो था Hydrogen।
Hydrogen का ब्रह्माण्ड के निर्माण में बहुत बड़ा हाथ है क्योंकि गुरुत्वाकर्षण ( Gravity) के कारण hydrogen के मिलने से helium के अणु बनने शुरू हुए, और ब्रह्माण्ड को अपना सबसे पहला तारा मिला और इस तरह ब्रह्माण्ड में कई और तारे बनने लगे और ब्रह्माण्ड चमकीला और प्रकशित होने लगा और Dark Time ख़त्म हुआ और Big bang के लगभग 4 लाख साल बाद ब्रह्माण्ड रोशन हो गया।
ग्रहों और उपग्रहों का अस्तित्व
Big bang के cosmic matter से और अणु बनते गए और ब्रह्माण्ड में ग्रह, उपग्रह, धूमकेतु और अवकशी पिंडो का निर्माण होंना शुरू हो गया और इस तरह करीब 8 अरब सालों तक यह निर्माण और प्रलय का सिलसिला लगातार चलता रहा और ऐसी ही एक घटना के चलते लगभग 4.5 अरब साल पहले हमारे सूर्य और सौर्यमंडल का निर्माण हुआ जिसमें हमारी पृथ्वी भी शामिल थी। सूर्य कैसे बना इसको अधिक जानने के लिए आप हमारी सूर्य कैसे बना और कब तक रहेगा वाली पोस्ट पढ़ सकते हैं ।
पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व
आज से लगभग 4.5 अरब साल पहले सूर्य और सौरमंडल के साथ ही हमरी पृथ्वी का भी जन्म हो गया था। जब पृथ्वी का निर्माण हुआ तब धरती आज की तरह जीने लायक नहीं थी और यह ज्वालामुखी और लावा का धधकता एक गोला था । उस समय पृथ्वी अपनी धुरी पर बहुत तेजी से घुमती थी और दिन हुआ करता था 8 घंटे का। और धरती पर पानी का कोई नमो निशान नहीं था लेकिन धरती पर हवा में भाप मौजूद था और H2O जैसे कई सारे element मौजूद थे । धीरे धीरे पृथ्वी ठंडी होने लगी और भाप के कारण उस पर बारिश होने लगी लाखो सालो से हो रही बारिश के कारण पृथ्वी पर जलाशय समुद्र और नदियाँ बनने लगे, और लगभग 3.5 अरब साल पहले पानी में hydrogen oxygen और और carbon के मिलने से जीवन की चहल पहल शुरू होने लग गई, और धरती को अपने एक कोशीय जीव मिले जो थे पैरामिशियम और अमीबा। इन सूक्ष्म जीवाणुओ के कारण आगे चलकर बहुत कोशिकीय जीव बनने लगे और पृथ्वी पर धीरे-धीरे जीवो की भरमार हो गयी ।
वैज्ञानिको का मानना है की धरती की तरह किसी और दुसरे ग्रह पर भी जीव रहते होंगे जो या तो हमसे बुद्धिमान भी हो सकते हैं और हमसे कमजोर भी ब्रह्माण्ड का यह आरंभ और अंत का सिलसिला ऐसे ही चलता रहेगा जो जन्मा है उसका अंत भी निश्चित है इसी तरह ब्रह्माण्ड में भी हर जन्मी चीज का अंत निश्चित है और खुद ब्रह्माण्ड का भी अंत निश्चित है ।
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सब को अपने-अपने कर्मो क़ा फल मिलता हैं
हांजी भगवद गीता के अनुसार हर इंसान को कर्म का फल अवश्य मिलता है
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बहुत ही बडिया सेर…. जानकारी देने के लिए..
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Or kya ye sabhi baate sahi bhi hai..
Kya ye verified hai..
हांजी