भगवद्गीता में यूँ तो 18 अध्याय के 700 श्लोक कि मानव कल्याण के लिए कहे गए मगर यहाँ मैं आपको भगवद्गीता के 10 सबसे महत्वपूर्ण श्लोक और उनके हिंदी में अर्थ बताने जा रहां हूँ । जो आपके जीवन में काम आ सकते हैं यद्यपि भगवद्गीता में मनुष्य के हर विषय के बारे में कहा गया है। यहाँ सुखः-दुःख , जन्म-मृत्यु, अपने-पराये, रिश्ते-नाते, पाप-पुण्य, आत्मा- परमात्मा से लेकर और जितने भी जरुरी विषय हैं उनके बारे में भगवान श्रीकृष्ण ने अच्छे से समझाया है। तो चलिए हम जानते हैं भगवद्गीता के 10 सबसे महत्वपूर्ण श्लोक ।
(1)
नैनं छिद्रन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावक: ।
न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुत ॥
(द्वितीय अध्याय, श्लोक 23)
इश श्लोक का भावार्थ यह है कि आत्मा को न तो कभी कोई शस्त्र काट सकता है, और न ही उसे कोई अग्नि जला सकती है ।आत्मा को पानी से भी नहीं भिगोया जा सकता और न ही उसे हवा द्वारा सुखाया जा सकता है।
(2)
हतो वा प्राप्यसि स्वर्गम्, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम्।
तस्मात् उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय:॥
(द्वितीय अध्याय, श्लोक 37)
इस श्लोक में भगवान् श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा कि – यदि तुम इस युद्ध में वीरगति को प्राप्त होते हो तो तुम्हे स्वर्ग मिलेगा और यदि तुम इस युद्ध में विजय हो जाओ तो तुम्हे धरती का सुख भी भोगने को मिलेगा । इसलिए हे कौन्तेय उठो और निश्चय होकर युद्ध करो ।
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(3)
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
(चतुर्थ अध्याय, श्लोक 7)
भावार्थ :- जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब तब ही मैं अपने आप को साकार रूप से प्रकट करता हूँ।
(4)
परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे॥
(चतुर्थ अध्याय, श्लोक 8)
भावार्थ :- मैं हर युग में अधर्म द्वारा धर्म को पहुँचाई गई हानि को दूर करने और साधु-संतों की रक्षा के लिए अवतार लेता हूँ।
(5)
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
(द्वितीय अध्याय, श्लोक 47)
भावार्थ :- तेरा कर्म करने में ही अधिकार है, उसके फलों में कभी नहीं। इसलिए तू फल की दृष्टि से कर्म मत कर और न ही ऐसा सोच कि आशा के बिना कर्म क्यों करूं ।
(6)
ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।
सङ्गात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥
(द्वितीय अध्याय, श्लोक 62)
भावार्थ :- विषयों का निरंतर चिंतन करने वाले पुरुष की विषयों में आसक्ति हो जाती है। आसक्ति से उन विषयों की कामना उत्पन्न होती है और कामना में विघ्न पडनेसे क्रोध उत्पन्न होता है ।
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(7)
क्रोधाद्भवति संमोह: संमोहात्स्मृतिविभ्रम:।
स्मृतिभ्रंशाद्बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति॥
(द्वितीय अध्याय, श्लोक 63)
भावार्थ :- क्रोध में से मूढ़ता उत्पन्न होती है, मूढ़ता से स्मृति-भ्रम हो जाती है, स्मृति-भ्रम हो जाने से मनुष्य की बुद्धि नष्ट हो जाती है और बुद्धि का नाश हो जाने पर मनुष्य खुद अपना ही का नाश कर बैठता है।
(8)
यद्यदाचरति श्रेष्ठस्तत्तदेवेतरो जन:।
स यत्प्रमाणं कुरुते लोकस्तदनुवर्तते॥
(तृतीय अध्याय, श्लोक 21)
भावार्थ :-इसका अर्थ यह हुआ कि श्रेष्ठ पुरुष जैसा -जैसा आचरण करते हैं दुसरे मनुष्य भी उनका अनुसरण करते हैं। वैसा ही काम करते हैं। श्रेष्ठ पुरुष जो प्रमाण या उदाहरण प्रस्तुत करता है। समस्त मानव-समुदाय उसी का अनुसरण करने लग जाता हैं।
(9)
श्रद्धावान्ल्लभते ज्ञानं तत्पर: संयतेन्द्रिय:।
ज्ञानं लब्ध्वा परां शान्तिमचिरेणाधिगच्छति॥
(चतुर्थ अध्याय, श्लोक 39)
भावार्थ :- श्रद्धा रखने वाले मनुष्य तथा अपनी इन्द्रियों पर संयम रखने वाले मनुष्य साधन-पारायण होते हैं। वे अपनी तत्परता से ज्ञान प्राप्त कते हैं, और फिर ज्ञान मिल जाने के बाद जल्द ही परम-शान्ति को प्राप्त होते हैं।
(10)
सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज।
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच:॥
(अठारहवां अध्याय, श्लोक 66)
भावार्थ :- सभी धर्मों का परित्याग करके तुम एक मेरी ही शरण में आ जाओ। मैं तुम्हें समस्त पापों से मुक्त कर दूँगा तुम शोक मत करो।
आज चाहे दुनिया में कोई कितना भी बड़ा motivational speaker क्यों न हो, लेकिन कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दी गयी ये speech जिसको हम भगवद्गीता कहते हैं। आज तक कि सबसे motivational speech है। आज भले कुछ धर्म के ठेकेदार हिन्दू, मुस्लिम, सिख, इसाई बनके आपस में ही लड़ते भिड़ते रहते हैं । जबकि श्रीमद भगवद्गीता में इस तरह के किसी भी धर्म का ज़िक्र नहीं किया गया है। यहाँ तो सारे श्लोक और सारी गीता में सिर्फ समस्त मानव कल्याण मात्र का ही ज़िक्र किया गया है ।
भगवद्गीता के 10 सबसे महत्वपूर्ण श्लोक पढ़कर आप सभी ज्ञानी मनुष्यों की क्या राय है कमेंट में जरुर बताएं ।
Bahut sundar..!
Thank you so much subham
Bahut achhi bat h अति आवश्यक स्लोक है
Thank you amrat
MAJA AA GAYA SIR .SO THANKS BOSS
Thank you kheetee
achcha laga padhkar kuch sikh bhi mili bahot achcha.
शुक्रिया गणेश
super slok the best lines
Today, there is a great sermon for the youth of tomorrow. If one can follow it, one can experience real happiness for the human race. Each one of these annals of mahadeva, mahadeva.