भारत रत्न पुरस्कार :-
भारत रत्न हमारे देश भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है। यह सम्मान उन व्यक्तियों को दिया जाता है जिन्होंने देश के किसी भी क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए हों, औरअंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का गौरव बढ़ाया हो। भारत रत्न पुरस्कार की परम्परा 1954 में शुरु हुई थी। इस पुरस्कार के रूप में दिए जाने वाले सम्मान की मूल विशिष्टि में 35 मिलिमीटर व्यास वाला गोलाकार स्वर्ण पदक, जिस पर सूर्य और ऊपर हिन्दी भाषा में ”भारत रत्न” तथा नीचे एक फूलों का गुलदस्ता बना होता है पीछे की ओर शासकीय संकेत और आदर्श-वाक्य लिखा होता है। इसे सफेद फीते में डालकर गले में पहनाया जाता है। एक वर्ष बाद इस पदक के डिज़ाइन को बदल कर तांबे के बने पीपल के पत्ते पर प्लेटिनम का चमकता सूर्य बना दिया गया। जिसके नीचे चाँदी में लिखा रहता है “भारत रत्न” और यह सफ़ेद फीते के साथ गले में पहना जाता है। यह सम्मान भारत के किसी भी नागरिक को दिया जा सकता है, चाहे वो किसी भी जाति, धर्म, व्यवसाय या लिंग से संबंध रखता हो। हर साल 3 व्यक्तियों को ये सम्मान दिया जाता है। हालांकि ये जरूरी नहीं है कि ये सम्मान हर साल दिया जाए। शुरुआत में भारत रत्न मरणोपरांत देने का प्रावधान नहीं था, बाद में इस प्रावधान को भी शामिल किया गया। पहले भारत रत्न सिर्फ भारत के नागरिको के लिए था लेकिन 1987 में अब्दुल गफ्फार खान पाने वाले वो पहले विदेशी थे जिनको इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया, क्योंकि भारत की आजादी के लिए उन्होंने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया था। इसके बाद 1990 में साउथ अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति रहे नेल्सन मंडेला को भी उनके मानवीय कार्यों के लिए इस सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। इसके 3 साल बाद 1993 में उन्हें नोबेल पीस प्राइज से सम्मानित किया गया।
भारत रत्न की स्थापना :-
भारत रत्न की शुरुआत 2 जनवरी 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने की थी। 1954 में सर्वप्रथम भारत रत्न सी. राजगोपालाचारी, सर्वपल्ली राधाकृष्णन और सी. वी. रमन को दिया गया था। उस समय केवल जीवित व्यक्ति को यह सम्मान दिया जाता था।1955 में मरणोपरांत भी सम्मान देने का प्रावधान भी जोड़ दिया गया। 2013 में पहली बार खेल के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ योगदान देने वालों को भी भारत रत्न देने का निर्णय लिया गया और इसी कड़ी में क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को इस सम्मान के लिए चुना गया। सचिन तेंदुलकर पहले खिलाडी हैं जिन्हे यह सम्मान मिला। 2013 में सचिन रमेश तेंदुलकर के साथ वैज्ञानिक C.N. राव को भी भारत रत्न दिया गया।
भारत रत्न के साथ मिलने वाली सुविधाएँ :-
- जिन व्यक्तियों को भारत रत्न से सम्मानित किया जाता है उनको जीवन भर इनकम टैक्स की छूट होती है, उन्हें अपने पूरे जीवन में Income Tax नहीं भरना पड़ता।
- Air India और Indian Railways में उन्हें प्रथम श्रेणी में फ्री यात्रा करने की सुविधा मिलती है। उनको एयर इंडिया की फ्लाइट और भारतीय रेल में कोई किराया नहीं देना पड़ता। दिल्ली सरकार डीटीसी बसों में उन्हें मुफ़्त सफर करने की सुविधा देती है।
- भारत रत्न पाने वाले व्यक्ति को सरकार ‘वॉरंट ऑफ़ प्रिसिडेंस ‘में जगह देती है। यह एक प्रकार का प्रोटोकॉल है। जब प्रोटोकॉल को फॉलो किया जाता है, तब उन्हें राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल, पूर्व राष्ट्रपति, उपप्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, लोकसभा स्पीकर, कैबिनेट मंत्री, मुख्यमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और संसद के दोनों सदनों में विपक्ष के नेता के बाद जगह मिलती है।
- ये पुरस्कार पाने वाले अपने विज़िटिंग कार्ड पर यह लिख सकते हैं, ‘राष्ट्रपति द्वारा भारत रत्न से सम्मानित’ या ‘भारत रत्न प्राप्तकर्ता’ ।
- भारत सरकार द्वारा VVIP ( Very Very Important ) का दर्जा दिया जाता है। जरूरत पड़ने पर जेड ग्रेड की सुरक्षा भी दी जाती है। इसके अलावा उस शख्स को देश के किसी भी राज्य में स्टेट गेस्ट की सुविधा दी जाती है।
- इसके अलावा राज्य सरकारें भी अपने हिसाब से उनको अपने राज्य में अनेक सुविधाएँ मुहैया करवाती हैं।
क्या भारत रत्न के साथ कोई धनराशि मिलती है ?
भारत रत्न पाने वालों को कोई धनराशि नहीं मिलती है। सरकार की ओर से एक प्रमाणपत्र और एक तमगा दिया जाता है। भारत रत्न एक तांबे के बने पीपल के पत्ते जैसा होता है, जो 59 मिमी. लंबा, 48 मिमी. चौड़ा और 3. मिमी. मोटा होता है। इसमें सामने की तरफ प्लेटिनम से सूरज का चित्र बना होता है। पूरे रत्न की किनारी को प्लेटिनम से बनाया जाता है। भारत रत्न के सामने की तरफ सूरज के चिह्न के साथ हिन्दी में ‘भारत रत्न’ लिखा होता है। इसके पीछे की तरफ अशोक स्तम्भ का चिह्न बना होता है और साथ में ‘सत्यमेव जयते’ लिखा होता है।
कौन देता है भारत रत्न :-
किसी भी व्यक्ति को भारत रत्न देश के राष्ट्रपति देते हैं। भारत रत्न किसे देना चाहिए, इसके लिए नाम का प्रस्ताव देश के प्रधानमंत्री देते हैं। एक साल में प्रधानमंत्री अधिक से अधिक तीन लोगों को भारत रत्न देने का प्रस्ताव राष्ट्रपति को दे सकते हैं।
भारत रत्न सम्मान पाने वाले व्यक्तियों की सूचि :-
क्रम | वर्ष | नाम |
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1. | 1954 – | डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन |
2. | 1954 – | चक्रवर्ती राजगोपालाचारी |
3. | 1954 – | डॉक्टर चन्द्रशेखर वेंकटरमण |
4. | 1955 – | डॉक्टर भगवान दास |
5. | 1955 – | सर डॉ॰ मोक्षगुंडम विश्वेश्वरय्या |
6. | 1955 – | पं. जवाहर लाल नेहरु |
7. | 1957 – | गोविंद वल्लभ पंत |
8. | 1958 – | डॉ॰ धोंडो केशव कर्वे |
9. | 1961 – | डॉ॰ बिधन चंद्र रॉय |
10. | 1961 – | पुरूषोत्तम दास टंडन |
11. | 1962 – | डॉ॰ राजेंद्र प्रसाद |
12. | 1963 – | डॉ॰ जाकिर हुसैन |
13. | 1963 – | डॉ॰ पांडुरंग वामन काणे |
14. | 1966 – | लाल बहादुर शास्त्री (मरणोपरान्त) |
15. | 1971 – | इंदिरा गाँधी |
16. | 1975 – | वराहगिरी वेंकट गिरी |
17. | 1976 – | के. कामराज (मरणोपरान्त) |
18. | 1980 – | मदर टेरेसा |
19. | 1983 – | आचार्य विनोबा भावे (मरणोपरान्त) |
20. | 1987 – | खान अब्दुल गफ्फार खान (पहले गैर-भारतीय) |
21. | 1988 – | एम जी आर (मरणोपरान्त) |
22. | 1990 – | बाबा साहेब डॉ॰ भीमराव रामजी आंबेडकर (मरणोपरान्त) |
23. | 1990 – | नेल्सन मंडेला (दूसरे गैर भारतीय ) |
24. | 1999 – | राजीव गांधी (मरणोपरान्त) |
25. | 1999 – | सरदार वल्लभ भाई पटेल (मरणोपरान्त) |
26. | 1999 – | मोरारजी देसाई |
27. | 1992 – | मौलाना अबुल कलाम आज़ाद (मरणोपरान्त) |
28. | 1992 – | जे आर डी टाटा |
29. | 1992 – | सत्यजीत रे |
30. | 1997 – | अब्दुल कलाम |
31. | 1997 – | गुलजारी लाल नंदा |
31. | 1997 – | अरुणा असाफ़ अली (मरणोपरान्त) |
33. | 1998 – | एम एस सुब्बुलक्ष्मी |
34. | 1998 – | सी सुब्रामनीयम |
35. | 1998 – | जयप्रकाश नारायण (मरणोपरान्त) |
36. | 1999 – | पं. रवि शंकर |
37. | 1999 – | अमृत्य सेन |
38. | 1999 – | गोपीनाथ बोरदोलोई (मरणोपरान्त) |
39. | 2001 – | लता मंगेशकर |
40. | 2001 – | उस्ताद बिस्मिल्ला ख़ां |
41. | 2008 – | पं.भीमसेन जोशी |
42. | 2014 – | सी॰ एन॰ आर॰ राव |
43. | 2014 – | सचिन तेंदुलकर |
44. | 2015 – | अटल बिहारी वाजपेयी |
45. | 2015 – | महामना मदन मोहन मालवीय (मरणोपरान्त) |
46. | 2019 – | प्रणब मुखर्जी |
47. | 2019 – | भूपेन हजारिका (मरणोपरान्त) |
48. | 2019 – | नानाजी देशमुख (मरणोपरान्त) |