त्रिकोणमिति गणित की वह शाखा है जिसमें त्रिभुज और त्रिभुजों से बनने वाले बहुभुजों का अध्ययन होता है। त्रिभुजों और बहुभुजों की भुजाओं की लम्बाई और दो भुजाओं के बीच के कोणों का अध्ययन करने का मुख्य आधार यह है कि समकोण त्रिभुज की किन्ही दो भुजाओं (आधार, लम्ब व कर्ण) का अनुपात उस त्रिभुज के कोणों के मान पर निर्भर करता है।
त्रिकोणमिति (Trigonometry) में एक त्रिभुज की भुजाओं और कोणों के बीच संबंधों का अध्ययन किया जाता है।
अंग्रेजी के शब्द ‘Trigonometry’ तीन ग्रीक शब्दों से मिलकर बना है। ये शब्द हैं: ‘Tri + Gon + Metron’.
इनमें ‘Tri’ का अर्थ है ‘तीन’
‘Gon’ का अर्थ है ‘भुजा’ तथा
‘Metron’ का अर्थ होता है ‘माप’
अर्थात अंग्रेजी शब्द ‘Trigonometry’ का पूर्ण अर्थ है, ‘एक त्रिभुज के तीनों भुजाओं की माप’
त्रिकोणमिति के सिद्धांतों तथा तकनीकि का उपयोग कर बड़े बड़े वस्तुओं को देखकर उनसे समकोण त्रिभुज के बनने की कल्पना कर उन वस्तुओं की ऊँचाई तथा दूरी ज्ञात की जा सकती है।
प्राचीन काल में त्रिकोणमिति पर किये गए कार्य का उल्लेख मिश्र तथा बेबीलॉन में मिलता है। प्राचीन काल के खगोलविद त्रिकोणमिति का प्रयोग पृथ्वी से तारों और ग्रहों की दूरियाँ मापने में करते थे। आज भी इंजिनियरिंग तथा भौतिक विज्ञान में त्रिकोणमिति का उपयोग किया जाता है।
समकोण त्रिभुज (Right Angle Triangle)
त्रिभुज जिसमें एक कोण 90o हो, को समकोण त्रिभुज कहा जाता है।
एक समकोण त्रिभुज में एक समकोण तथा दो न्यून कोण (90o के कम) होते हैं।
कर्ण (Hypotenuse)
(a) समकोण त्रिभुज में समकोण के सामने की भुजा को कर्ण (Hypotenuse) कहा जाता है।
(b) कर्ण (Hypotenuse) समकोण त्रिभुज की सबसे लम्बी भुजा होती है।
(c) कर्ण की लम्बाई शेष दोनों भुजाओं की लम्बाई के योग से कम होती है।
(d) कर्ण को प्राय: अंग्रेजी के अक्षर “h” से दिखलाया जाता है।
आधार (Base)
(a) समकोण त्रिभुज में एक न्यूनकोण की संलग्न भुजा को आधार कहा जाता है। (जैसे कि ∠A दिये गये चित्र में) । आधार जैसा कि शब्द के अर्थ से ही स्पष्ट है, एक समकोण त्रिभुज में कर्ण को छोड़कर नीचे वाली भुजा जो आधार का कार्य करती है, प्राय: आधार कहलाती है।
(b) आधार (Base) को प्राय: अंग्रेजी के अक्षर “b” से निरूपित किया जाता है।
लम्ब (Perpendicular)
(a) समकोण त्रिभुज में किसी न्यूनकोण के सम्मुख की भुजा को लम्ब कहा जाता है। (जैसे कि दिये गये चित्र में ∠A का सम्मुख भुजा लम्ब है।)
(b) लम्ब को ऊँचाई भी कहा जाता है। लम्ब को प्राय: अंग्रेजी के अक्षर “p” से निरूपित किया जाता है।
पाइथागोरस प्रमेय (Pythagoras Theorem)
पाइथागोरस प्रमेय एक समकोण त्रिभुज की भुजाओं के बीच सम्बन्ध को दर्शाता है।
पाइथागोरस प्रमेय के अनुसार, समकोण त्रिभुज में,
(कर्ण) 2 = (लम्ब) 2 + (आधार) 2
⇒ h2 = p2 + b2
जहाँ, h = कर्ण, p = लम्ब (perpendicular) तथा b = आधार (base)
त्रिकोणमितीय अनुपात (Trigonometric Ratio)
समकोण त्रिभुज के न्यून कोणों के सापेक्ष त्रिभुज की भुजाओं का अनुपात कोणों के त्रिकोणमितीय अनुपात कहलाते हैं।
मान लिया कि न्यूनकोण है।
न्यूनकोण के सापेक्ष विभिन्न त्रिकोणमितीय अनुपात
का Sine
∠A का Sineको संक्षेप में “sin A” लिखा जाता है।
यहाँ “sin A” का अर्थ “sin” गुणा “A” नहीं होता है। बल्कि यह का sine है।
Where,
p = perpendicular
b = base
h = hypotenuse
त्रिकोणमितीय अनुपातों को याद रखने का ट्रिक
पंडित बद्री प्रसाद, हर हर बोले, सोना चाँदी तोले
“Pandit Badri Prasad, Har Har Bole “,Sona Chandi Tole
इस लाइन को याद कर लें।
अब इस लाइन के प्रत्येक शब्द का अंग्रेजी अक्षर लिख लें। प्रत्येक शब्द के पहले अक्षर को लाल से हाइलाइट (दर्शाया गया) किया गया है।
सभी शब्दों के पहले अक्षर को मिला कर बनता है: “PBP : HHB : SCT”
अब हमारे पास तीन शब्द है, इन शब्दों की मदद से हमलोग न्यूनकोण की त्रिकोणमितीय अनुपात ज्ञात करने का सूत्र याद कर सकते हैं।
अब तीनों शब्दों के पहले अक्षर को लें
“PBP : HHB : SCT ”
(1) “sin A” के लिए P , H तथा S
यह, p/h=sin A बनता है।
अर्थात
(2) “cos A” के लिये
तीनों शब्दों के दूसरे अक्षरों के लें,
“PBP : HHB = SCT ”
यह बनता है: B तथा H =C
अर्थात
(3) “tan A” के लिये
“PBP : HHB = SCT”
यह बन जाता है: P and B= T
अर्थात p/b
या,
अत: इसका क्रम है: “sin, cos, tan” and “PBP : HHB”.
“cosec, sec तथा cot” के लिये त्रिकोणमितीय अनुपात
“cosec” उलटा है “sin” का
चूँकि S
अत:, h/p ( “sin” का ठीक उलटा)
उसी तरह,
“sec” उलटा है “cos” का
चूँकि
अत:, (“cos” का ठीक उलटा)
उसी तरह,
“cot” उलटा है”tan”
चूँकि,
अत:, (“tan” का ठीक उलटा)
दूसरा तरीका : त्रिकोणमित्तीय फलनों की परिभाषा कोण के ‘सामने की भुजा’, ‘संलग्न भुजा’ एवं कर्ण के अनुपातों के रूप में याद करने से कभी ‘लम्ब’ या ‘आधार’ का भ्रम नहीं रहता। नीचे opp = सामने की भुजा ; adj = संलग्न भुजा तथा hyp = कर्ण
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प्रमुख त्रिकोणमितीय सूत्र